गुरुवार, 19 जुलाई 2007

ताज

मुमताज़ का ये ताज है हिन्‍दोस्‍तान में
इसकी अजीब शान है सारे जहान में
देता है दर्स इश्‍व व मोहब्‍बत का आज भी
आवेज़ां अक्‍स इसका है हर एक मकान में
आवेज़ां- लटका हुआ

'इजहार' फैज़ाबादी

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

वाह!

सही फरमाया फैज़ाबादीजी।

शैलेश भारतवासी ने कहा…

सत्य वचन

भंगिमा

भंगिमा
द्वारा आनन्‍दस्‍वरूप गौड़