गुरुवार, 19 जुलाई 2007

ताज

मुमताज़ का ये ताज है हिन्‍दोस्‍तान में
इसकी अजीब शान है सारे जहान में
देता है दर्स इश्‍व व मोहब्‍बत का आज भी
आवेज़ां अक्‍स इसका है हर एक मकान में
आवेज़ां- लटका हुआ

'इजहार' फैज़ाबादी

बुधवार, 11 जुलाई 2007

मित्रों के लिए कुछ और

चर्चा पूरी तरह अनौपचारिक माहौल में शुरू हुई। समय इतना कम कि हाथ हिलाने मिलाने तक में जो लोग साथ आ पाये बस उतने ही.. जैसा कि शैलेश जी ने कहा कि सिर्फ चार। फोटो वगैरह तो तब ली जा सकती है जब पहले से कुछ सोचा और तैयार किया गया हो। कैमरे वाला मोबाइल किसी के पास होता तो बात और थी। कुछ खिंच-खिंचा जाता। मगर चर्चा बड़ी गर्मजोशी में हुई। अनेक कोणों से चिट्ठाकारी के महत्‍व को रेखांकित किया गया। यह पाया गया कि चिट्ठाकारी ने अभिव्‍यक्ति के पैरों की सारी जंजीरें खोल दी हैं। जैसा कि प्रिंट-मीडिया अमूमन कलम पूंजी की गुलाम पायी जाती है.. वैसा यहां नहीं है। इण्‍टरनेट एक इण्‍टरऐक्टिव मीडिया है.. इसलिए यहां लिखने-पढ़ने में कोई बाह्य बंधन नहीं है। यहां मुंह-देखी आलोचना का चाल-चलन नहीं है, अपितु, आत्‍मीय विवेचना का रिवाज प्रचलित है। यह सब और भी बहुत सारी खूबियां मिलकर चिट्ठाकारी के सुन्‍दर भविष्‍य की ओर संकेत करती हैं।

मंगलवार, 10 जुलाई 2007

फैजाबाद में हुई हिन्‍दी-ब्‍लागरों की गोष्‍ठी

पिछले 6 जुलाई, 2007 को जनपद फैजाबाद में शहीद उद्यान में हिन्‍दी-ब्‍लागरों ने आपस में चर्चा का अवसर निकाल ही लिया। दरअसल मौका था हिन्‍द-युग्‍म के ब्‍लाग-नियंत्रक शैलेश भारतवासी का जनपद फैजाबाद आगमन... हालांकि वक्‍त भी कम और उन्‍हें दो घण्‍टे में सुलतानपुर रवाना होना था.. मगर आनन-फानन में यह तय हुआ कि थोड़ी देर के लिए ही सही मगर कुछ देर बैठ कर साहित्‍य-चर्चा की जाये।
आपस में परिचय के उपरान्‍त चर्चा के आरम्‍भ में महेन्‍द्र उपाध्‍याय ने साहित्यिक क्षेत्र में फैली हुई खेमेबाजी को लेकर अपनी चिन्‍ता व्‍यक्‍त की। फिर चर्चा ने वर्तमान में हिन्‍दी ब्‍लागिंग के महत्‍व एवं उसके तकनीकी पहलुओं की तरफ मोड़ लिया। आनन्‍दस्‍वरूप गौड़ आनन्‍द ने कहा कि हिन्‍दी चिट्ठाकारी अभिव्‍यक्ति का एक सशक्‍त माध्‍यम है। उन्‍होंने कहा कि कस्‍बाई एवं छोटे शहरों के लोगों में अत्‍यधिक सर्जनात्‍मकता छुपी है। आवश्‍यकता इस बात की है कि उन्हें पर्याप्‍त मिले। चर्चा में इस बात बल दिया गया कि फैजाबाद जैसे कमिश्‍नरी स्‍तर के जनपदों में हिन्‍दी ब्‍लागरों की बैठक आयोजित की जाये। शैलेश भारतवासी ने हिन्‍दी ब्‍लागिंग के अपने अनुभवों के सम्‍बन्‍ध में लोगों के साथ चर्चा की और उसके तकनीकी पहलुओं के सम्‍बन्‍ध में अवगत कराया। उन्‍होंने कहा कि चिट्ठाकारी आने वाले समय में रचनात्‍मक ऊर्जा के उपयोग का एक सशक्‍त माध्‍यम बनने जा रही है। गोष्‍ठी में पाडकास्टिंग के सम्‍बन्‍ध में लोगों की उत्‍सुकता रही। अन्‍त में, धन्‍यवाद ज्ञापन के साथ गोष्‍ठी समाप्‍त हुई।

अज्‍मेसफर

कर ली मंजूर चुनौतियों की दावत मैंने
तन्‍हा चलने की डाल ली आदत मैंने
भंवर भी सहमा-सहमा सा नजर आता है
मुझे देख के तूफां भी भाग जाता है
मजाल क्‍या, अंधेरे की सामना कर ले
और कोई मसाइल राह का रोड़ा बन ले
मुश्किलें हट जाती हैं देख यकीनेखुद के साथ
लाखों चराग हैं मेरे अज्‍मेसफर के साथ।

आनन्‍दस्‍वरूप गौड़ 'आनन्‍द'

सम्‍बन्‍धों की नदी

यहां सम्‍बन्‍धों की नदी
सहज नहीं हुआ करती
बहती नहीं निश्‍चल हर-हर
यहां उसे
काट-छांट कर
जरूरतों के मुताबिक
लोग बना लेते हैं
नहर....
ये है शहर

महेन्‍द्र उपाध्‍याय

भंगिमा

भंगिमा
द्वारा आनन्‍दस्‍वरूप गौड़